Russian President In India : PM Modi प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत करने पहुँचे एयरपोर्ट

Russian President In India : PM Modi प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत करने पहुँचे एयरपोर्ट

 PM मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर किया विशेष अतिथि का स्वागत, एयरपोर्ट पर दिखा अभूतपूर्व दृश्य

देश की राजनीति और कूटनीति में प्रोटोकॉल का पालन हमेशा से एक विशेष परंपरा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपनी गर्मजोशी और व्यक्तिगत शैली से औपचारिकताओं को पीछे छोड़ते नजर आते हैं। ऐसा ही एक दृश्य उस समय देखने को मिला जब प्रधानमंत्री मोदी अचानक एयरपोर्ट पर पहुंचे और आधिकारिक प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए एक विशेष अतिथि का स्वागत करने खुद वहां मौजूद रहे। इस अप्रत्याशित कदम ने न केवल लोगों को चौंका दिया बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह दृश्य तेज़ी से वायरल हो गया।

भारत — रूस के बीच लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते रहे हैं। इस बीच, जब रूस के राष्ट्रपति के भारत आगमन की खबर आई, तो नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक प्रोटोकॉल को पीछे छोड़कर खुद एयरपोर्ट पहुंचकर उन्हें गर्मजोशी से स्वागत किया — और ये ऐसा दृश्य था जिसने देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियाँ बटोरीं। इस कदम ने दिखा दिया कि भारत–रूस के बीच सम्बन्ध सिर्फ राजनयिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और रणनीतिक भी हैं। 

PC - सभी तस्वीरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक ‘X’ हैंडल से ली गई हैं।
 

 एयरपोर्ट पर अनोखा स्वागत

जब रूस के राष्ट्रपति का विमान भारत में लैंड हुआ, तो आमतौर पर प्रोटोकॉल के अनुसार तैयारियों का क्रम चलता है — पारंपरिक स्वागत दल, विशेष गाड़ी, आयोजन आदि। लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। प्रधानमंत्री मोदी की गाड़ी अचानक एयरपोर्ट पर उतरी, और वे स्वयं विमान के पास गए।

भीड़ में मौजूद अधिकारी तथा सुरक्षा एजेंसियाँ तैयार थीं, लेकिन इस तरह तत्काल, व्यक्तिगत, और गर्मजोशी भरे स्वागत को देखने वालों के लिए यह अनुभव यादगार रहा। मीडिया और उपस्थित लोगों की नजरें उस पर जम गईं जब मोदी और रूस के राष्ट्रपति ने परस्पर गले मिलकर दोस्ती की अभिव्यक्ति की।

इतना ही नहीं — जैसे ही राष्ट्रपति ने भारत की जमीन पर कदम रखा, मोदी ने तुरंत अपना अगला कार्यक्रम स्थगित कर दिया और उन्हें सीधे VIP गाड़ी में बैठने का आमंत्रण दिया।

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एयरपोर्ट पर सुरक्षा एजेंसियों में हलचल

जब प्रधानमंत्री की गाड़ी एयरपोर्ट परिसर में दाखिल हुई तो एक पल के लिए वहां मौजूद सुरक्षा अधिकारियों में हलचल मच गई। PM के आगमन की जानकारी पहले से निर्धारित प्रोटोकॉल में नहीं थी। एयरपोर्ट का VIP ज़ोन अचानक एक हाई-अलर्ट सुरक्षा क्षेत्र में बदल गया। SPG कमांडोज़ तुरंत सक्रिय हुए, जबकि एयरपोर्ट प्रशासन भी अचानक हुए इस घटनाक्रम से हैरान दिखा।

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर किसी का स्वागत किया हो। कई मौकों पर उन्होंने अपनी सहज और व्यक्तिगत शैली के कारण औपचारिकताओं की सीमाओं को पार करते हुए अतिथियों का स्वागत किया है। लेकिन इस बार यह घटना और भी खास इसलिए थी क्योंकि यह बिल्कुल अचानक हुई।

 

MODI AND PUTIN

मोदी–पुतिन: क्यों है ये दोस्ती खास?

भारत और रूस (पहले सोवियत संघ) के बीच दशकों पुरानी दोस्ती है — यह दोस्ती सामरिक, ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष एवं कूटनीति जैसे कई स्तंभों पर टिकी है।

  • रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में — रूस भारत का पुराना साझेदार रहा है: रूस से हथियार, वायु रक्षा प्रणालियाँ, विमान, और अन्य रक्षा सामग्री लंबे समय से भारत को मिलती रही है।

  • ऊर्जा एवं परमाणु सहयोग — रूस भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में सपोर्ट करता है, विशेष रूप से न्यूक्लियर ऊर्जा एवं तेल-गैस क्षेत्रों में।

  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तालमेल — भारत और रूस अक्सर कई वैश्विक एवं क्षेत्रीय मामलों में एक समान दृष्टिकोण रखते हैं, जिससे उनकी कूटनीति मजबूत होती है।

इन वजहों से, मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच व्यक्तिगत स्तर पर भी गर्मजोशी, विश्वास और पारस्परिक सम्मान बन चुका है।

इस दोस्ती की नींव सिर्फ राजनयिक साझेदारी नहीं, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे bilateral engagements, साझा हित, और रणनीतिक समझ से बनी है।

एयरपोर्ट से एक ही गाड़ी में रवाना

स्वागत के तुरंत बाद, मोदी और रूस के राष्ट्रपति एक ही गाड़ी में सवार हुए — यह दृश्य स्वयं में प्रतीक बन गया कि राजनीतिक औपचारिकताओं से ऊपर व्यक्तिगत विश्वास और दोस्ती कितनी ताकतवर हो सकती है।

उनकी गाड़ी जैसे ही चल पड़ी, मीडिया, सुरक्षा दल और आम लोग एक साथ इस दृश्य को देख कर चकित रह गए।

इस सादगी — कि दो बड़े नेताओं को “VIP protocol” की बजाय “दोस्त जैसा स्वागत + साथ यात्रा” करना — ने यह संदेश दिया कि भारत-रूस संबंध सिर्फ दस्तावेज़ी नहीं, बल्कि मानवीय और पारस्परिक भरोसे पर आधारित हैं।

क्यों यह मुलाकात और स्वागत महत्वपूर्ण है?

  1. दुनिया को संदेश — इस तरह का स्वागत और एक साथ गाड़ी में जाना एक बहुत स्पष्ट संदेश है: भारत और रूस न सिर्फ रणनीतिक साझेदार हैं, बल्कि व्यक्तिगत विश्वास और मित्रता में भी दृढ़ हैं।

  2. भविष्य की बातचीत और करारों की तैयारी — ऐसे तात्कालिक, असाधारण स्वागत से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच आगामी बातचीत, समझौते या सहयोग योजनाओं को लेकर भरोसा और इरादा है।

  3. भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत होती है — ऐसे gestures से विश्व पटल पर भारत की छवि “एक मजबूत, आत्मविश्वासी और विश्वसनीय साझेदार” की बनती है।

 

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

कुछ कूटनीति विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का स्वागत — जहाँ प्रोटोकॉल को पीछे छोड़कर व्यक्ति स्तर पर सम्मान दिखाया जाता है — अक्सर संकेत होता है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच क्लोजर-टाइप समझौते या बड़े करार होने वाले हैं।

एक विश्लेषक ने कहा:

“जब एक नेता दूसरे नेता का स्वागत सिर्फ औपचारिकता के लिए नहीं, बल्कि दोस्ती और सम्मान के लिए करता है — वह संकेत देता है कि संबंध सिर्फ राजनीति-परक नहीं, बल्कि रणनीतिक एवं दीर्घकालिक हैं।”

 

क्या इस कदम का मतलब है कि “वक्त बदल गया है”?

शायद हाँ।

कई साल पहले diplomatic visits strictly प्रोटोकॉल के अनुसार होते थे — formal welcome, scheduled meeting, official carriage।

लेकिन अब बदलते समय, बदलते रिश्तों और बदलती विदेश नीति की चुनौतियों के बीच — ऐसे gestures यह बताते हैं कि राजनयिक संबंधों की जगह विश्‍वास, समझ, और व्यक्तिगत सम्मान ने ले ली है।

और वो नेता जो समझते हैं कि दोस्ती सिर्फ कागज़ों पर नहीं बल्कि इंसान और इंसान के बीच होनी चाहिए — उनके लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है।

आगे क्या हो सकता है — क्या इंतजार करना चाहिए?

इस अप्रत्याशित स्वागत ने कई उम्मीदें जगाई हैं:

  • आने वाले दिनों में भारत-रूस के बीच नई रक्षा या ऊर्जा समझौते हो सकते हैं।

  • द्विपक्षीय वार्ताओं में गति आ सकती है।

  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत-रूस सहयोग और दृढ़ हो सकता है — geopolitics में दोनों देशों की weightage बढ़ सकती है।

और साथ ही,

  • यह संदेश भी गया कि भारत अब सिर्फ regional power नहीं, बल्कि विश्व पटल पर एक मजबूत, निर्णायक और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ Nation है।

 

निष्कर्ष — दोस्ती, अस्थायी नहीं, स्थायी

रूस के राष्ट्रपति के आगमन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया स्वागत — प्रोटोकॉल को तोड़कर, आत्मीयता के साथ, और सीधे दिल से — यह सिर्फ एक राजनयिक gesture नहीं था।

यह मोदी और पुतिन के बीच उस भरोसे, समझ और सम्मान की मिसाल है, जो दशकों से चले आ रहे India–Russia रिश्तों की नींव है।

वो गाड़ी, वो गले मिलना, वो स्वागत — एक संकेत है कि आज भारत-रूस मात्र रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि असली “दोस्त” बन चुके हैं।

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